रूह हूँ मैं
एक इठलाते हुए शिशु की तरह, कोलाहल कर रहा है ये विवेक | हर पल में सौ कहानियाँ बुनता, आंकलन कर रहा है यह विवेक। हर निष्कर्ष पर एक नया...
रूह हूँ मैं
आत्मज्ञान - एक अविरल ज्ञानस्त्रोत
बिटिया
क्या मैं सिर्फ एक नाम हूं?
नारी
ताला और चाबी
माँ
शून्य
प्रेमाच्या वस्तीला
पंचभूत
विराम
याद
घर की अनिवासी बेटी : प्रतिक्षा लोढ़ा
स्त्री : कवि मकरंद
आजकल : विभावरी विटकर
मूर्तियां
पैसे से ही पागल दुनिया
इंतज़ार
मतलब...
रूबरू
बता कैसे भगवन्, है औरत बनाई?
गुनाह ...
सुनहले गीत
एहसास इस पल का...
क्या मूल्य है परवरिश का ?
वक्त-वक्त की बात है...
मेरी रूह
मेरा प्रणाम, अनाम योद्धाओं के नाम
मनमें है विश्वास