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नभी उंच वाऱ्यावरी लहरू दे तिरंगा


मराठी और हिंदी ये दोनों भाषा में प्रस्तुत


 

मराठी

नभी उंच वाऱ्यावरी लहरू दे तिरंगा

घरोघरी मनोमनी पूज्य हा तिरंगा ।।धृ ।।


सामर्थ्याचा प्रतीक रंग असे केशरी

श्वेत रंगी शांती अन सत्य वसे अंतरी

समृद्धी विकासाचे रूप हरित रंगा...

घरोघरी मनोमनी पूज्य हा तिरंगा ।।१ ।।


माणुसकी साऱ्यांप्रति, शिकवण या धर्माची

स्वनिर्मिती स्वदेशीची हाक ऐकू मातेची

राष्ट्रप्रेम वाहो मनी, होऊनिया गंगा..

घरोघरी मनोमनी पूज्य हा तिरंगा ।।२ ।।


वैज्ञानिक नामवंत, तंत्रज्ञ ही तैसे,

साहित्य कलाप्रांती नाव जगी गाजे,

क्रीडाक्षेत्रीही देश प्रगतीच्या मार्गा

घरोघरी मनोमनी पूज्य हा तिरंगा ।।३ ।।


यशवंत कीर्तिवंत प्रिय आमुच्या देशा,

वर्चस्व जळी स्थळी, व्यापो आकाशा

हयगय ना वक्रदृष्टी शत्रू करी दंगा,

घरोघरी मनोमनी पूज्य हा तिरंगा ।।४।।

 
हिंदी

आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य मे हमारे तिरंगे को शतशः नमन...

एक कविता इस प्यारे तिरंगे को समर्पित..


गगनमें ऊँचा विशाल, लहराए तिरंगा

हर घर मे, हर मन में, पूज्य ये तिरंगा॥धृ॥


केसरिया रंग इसकी, समर्थता दिखलाये

श्वेत शांती और सत्य, का प्रतीक कहलाए

समृद्धी और विकास, रूप हरित रंगा

हर घर मे, हर मन में, पूज्य ये तिरंगा॥१॥


इंसानियत हो हर दिल में,धर्म यही सिखलाये

स्वनिर्मिती स्वदेशीकी, गूंज हरतरफ सुनाये

राष्ट्रप्रेम बहे मनमे, बनकर यूँ गंगा..

हर घर मे, हर मन में, पूज्य ये तिरंगा॥२॥


वैज्ञानिक नामवंत, तंत्रज्ञ भी हैं महान,

साहित्य कला में भी, गाये सब गुणगान

खेलकूद क्षेत्र मे भी, प्रगतीपथ चलेगा

हर घर मे, हर मन में, पूज्य ये तिरंगा॥३॥


यशवंत कीर्तिवंत हे प्रिय मम देशा,

वर्चस्व रहे तेरा, जल थल आकाशा

बक्शेंगे न शत्रू अगर, करे कोई दंगा

हर घर मे, हर मन में, पूज्य ये तिरंगा॥४॥

भारत माता की जय.......


- डॉ. अंजली देशपांडे

 

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