top of page
Search

वक्त-वक्त की बात है...



वक्त-वक्त की बात है…

वक्त ताकत नहीं, वक्त कमज़ोर नहीं।

अपने वक्त पर क्युँ गुरूर है?

वक्त आज है, तो कल नहीं..

इस पर किसका ज़ोर है।

ना किस्मत का दोष है,

इंसान बस खामोश है।

कहने को स्मृतियों का शोर है।

वक्त पर किसका ज़ोर है?

गरीब खून के आंसू पिए, फिर भी अमीर के मन में चोर है।

कौन जानता है? यह वक्त कब किसकी ओर है।

भाई को भाई ठुकराकर, बनता बड़ा कठोर है।

मेहनत की मजदूरी ना मिले, जाने यह कैसा दौर है।

मासूम कलियां मचली जाती, हैवानियत घनघोर है।

कौन जानता है? ये वक्त कब किसकी ओर है।

वक्त को कर मुट्ठी में, आशाओं की भोर है।

अपने पंखों को उड़ने दे, रोकने का किस में ज़ोर है।

देख दुनिया की हालत, आज मन आत्म-विभोर है।

कौन जानता है? ये वक्त कब किसकी ओर है।।


- निकिता मुँधड़ा

Related Posts

See All

'Savarkar - An Ideology', is a series of 11 articles. Based on the life of Veer Savarkar. Below are links to all the 11 art

bottom of page