क्या मैं सिर्फ एक नाम हूं?
क्या मैं सिर्फ एक नाम हूं?
मेरा एक नाम है|
इस नाम की एक पहचान है|
इस नाम से जुड़े मान-अपमान है|
पर...
क्या सिर्फ मैं एक नाम हूं?
इस नाम के कई रिश्ते हैं|
कोई बेटी, तो कोई बहन कहते हैं|
किसी की रानी, तो किसी की दुलारी |
किसी की दोस्त, तो किसी की प्यारी|
पर…
क्या सिर्फ रिश्तो से ही मेरी पहचान है?
इस नाम पर कई उपाधि है|
डॉक्टर इंजीनियर की डिग्रियां साधी है|
स्कूल के पुराने पन्नों पर,
या कॉलेज के सेंटर बोर्ड पर,
आज भी यह नाम है, रिकॉर्ड पर|
पर…
क्या यह डिग्रियां ही मेरा अस्तित्व है?
इस नाम से जुड़े घर है,
जमीन है, जायदाद है|
बैंकों में अकाउंट भी है|
जीवन की बीमा भी है|
पर…
सब कुछ तो इस नाम का है|
मेरा क्या है?
क्या मैं सिर्फ इतना ही हूं?
अपने जीवन को नाम से परे देखो…
इस आत्मा को कितने नाम मिले, जरा यह सोचो…
अनगिनत रिश्ते, और उतनी ही उपाधियां|
कितने घर, और ना जाने कितनी जमीने|
सब कुछ इस जीवन के इस नाम का है|
मेरा क्या है?
क्या तुम और मैं सिर्फ एक नाम ही है?
- निकिता मुँधड़ा
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