स्त्री : कवि मकरंद

मनोवैज्ञानिक से लेकर खगोलशास्त्री,
कुछ भी बन सकती है स्त्री...
कुछ भी कर सकती है स्त्री...!
भगवान की यह सबसे सुंदर रचना है...
कल्पना से भी परेह इनकी संरचना है...!
कभी वह बेटी बनकर घर की खुशियां बढ़ाती है, कामयाबी की बुलंदियों को छू जाती है...
कभी माता बनकर अपने बच्चे का भरण-पोषण करती है...
कभी बहन बनकर भाई का हौसला बढ़ाती है...
कभी पत्नी बनकर घर की लक्ष्मी बन जाती है...
कभी पेशेवर मोर्चे पर काफी उन्नति करती है...
कभी दादी बनकर पोते-पोतियों को कहानियां सुनाती है...!
कितनी सारी भूमिकाएं एक स्त्री निभाती है...
अपनों में अपना प्यार बांटती है...
फिर भी क्यों उसे वही प्यार नहीं दिया जाता है...?
क्यों यूं स्त्री को बिन समझे भला-बुरा कहा जाता है...?
अपने परिवार में वह सभी का ख्याल रखती है...
गलतियां होने पर डांट-फटकार लगाती है...
लेकिन अंत में फिर भी वो सब हमारे लिए करती है...
हमारे भले के लिए वह सारे क़दम उठाती है...!
स्त्री एक नई पीढ़ी को जन्म देती है...
मां बनकर बच्चों को अच्छी बातें सिखाती है, उनकी देखभाल करती है...
वह अपनों का रखती है कितना ख्याल...
फिर हम क्यों नहीं बिताते उसके साथ वक्त और पूंछते उसका हाल-चाल...?
मुसीबतों से बाहर निकालने का काम करती है स्त्री...
खुशियों को दुगुना करने का काम करती है स्त्री...
वह वातावरण को खुशनुमा बनाने का काम करती है...
फिर हम क्यों उसे एक पल के लिए भी सम्मान नहीं देते...?
वह कितने मायने रखती है, यह हम क्यों नहीं बताते...?
बहन बनकर भाई से बहुत प्यार करती है...
कोई दूजा न कर पाए, इतनी उसकी देखभाल करती है...
भगवान से अपने भाई की अच्छी उम्र की कामना करती है...
फिर हम क्यों उसके बारे में गलत सोचते हैं कि वह कुछ नहीं करती है...?
हमारी ज़ुबान से उसके लिए बुरी बात क्यों निकलती है...?
स्त्रियों का सम्मान होना चाहिए...
उन्हें खुद को विकसित करने का माहौल देना चाहिए...
लेकिन लोग उनसे छेड़खानी, जोर-जबरदस्ती करके उनका अपमान करते हैं...
स्त्रियां भी इंसान हैं, उनमें भी भावनाएं हैं, लोग क्यों नहीं समझते हैं...?
अपने प्रेमी से बहुत प्यार करती है स्त्री...
उसके लिए उसकी पसंद-नापसंद का ख्याल रखती है स्त्री...
लेकिन बदले में उसे प्रेमी उसे अकेला छोड़ जाता है...
स्त्री को इतना अनदेखा क्यों किया जाता है...?
हमारे संस्कृति में स्त्रियों को देवी मां का स्थान दिया गया है...
नकारात्मकता नष्ट करके सकारात्मकता लाने वाली दुर्गा मां का मान दिया गया है...
हर तरह से पूजनीय हैं स्त्रियां,
फिर भी अपमान का शिकार क्यों होती हैं स्त्रियां...?
क्यों न आज से एक बात मन में ठान लें...
स्त्रियों की ज़िंदगी में खुशियां लाने की बात मान लें...
उनके साथ वक्त गुजारकर उनकी तकलीफों को कम करने का प्रयास करें...
चलो, स्त्रियों की ज़िंदगी को खूबसूरत बनाने का प्रयास करें...!
शुक्रिया!
- कवि मकरंद
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