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मनमें है विश्वास

कोविड-19 ने हम सबको एक ऐसे मोड पर लाकर छोड़ा है, जहां हम यह सोचने पर मजबूर हो जाते है, कि इंसान कितनी भी तरक्की क्यूँ न कर ले, कुछ न कुछ कमियाँ जरूर रह जाती है। इस दुनिया की हर चीज़ इंसान के वश में नहीं हो सकती।

फिर भी कभी कभी कोई चमत्कार जरूर होता है, और ऐसा चमत्कार होगा, यह विश्वास ही हमें मजबूत बनायें रखता है। हाल ही में एक मूव्ही देखी, जिसका नाम था, "मिरॅकल्स फ्रॉम हेवन" (Miracles from Heaven), इस चित्रपट की शुरूआत इसी विचार से होती है। एक असाध्य बीमारी के बावजूद एक छोटी-सी लड़की कैसे ठीक हो जातीं हैं और निरामय जीवन की शुरूआत करती हैं, यह इस फिल्म में दिखाया गया है। उसकी माँ की असीम श्रद्धा ही मानो उसे मौत के मुँह से खीच लाती है।

लाॅकडाउन के शुरू होने पर कुछ दिनों तक तो यह सब क्या चल रहा है ये समझने में ही उलझे रहे। टीवी पर जग भर की खबरें देखकर तथा सुनकर मन विचलित हो उठता। दूर देशों में रहनेवाले अपनों के प्रति मन में तरह तरह की आशंकाये उठती। तभी हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी के कहने पर हम सबने अपने अपने घरों में दीप जलाकर दिलोंमे एक उमंग जगाने की कोशिश की।

इस प्रसंग के बाद कुछ पंक्तियाँ मन में उभरकर आयी, जो परमात्मा के प्रति हमारा दृढ़ विश्वास दिखाती है। वही यहाँ प्रस्तुत की है।


वो रस्ते शहरके हुए आज नम, चहकते जो दिनरात और हरकदम

मुसाफिर वो क्या जाने खोये कहाँ, कभी जो हुआ करते इनके हमदम

मुलाकातोंका अब ना है सिलसिला, किसीसे ना कोई है शिकवा गिला,

बाते करनेका खुदसेही सोचो हमे, अनोखासा इक आज मौका मिला..

धडकनोंको सुनो आज अपनेही दिलकी, नया गीत कोई लिखो आज तुम,

निलायम सा अंबर, सुनहरेसे पंछी, नजर भरके देखो जरा आज तुम

तसवीर इन सबकी दिलमे उतारो, महसूस कर लो सुंदरसा रूप,

तनहाईयों में सुरों को पुकारो, गाने लगो मनमें मंगलसा 'भूप'

हुए बंद दरवाजे तों क्या हुआ,

खुली आज मनकी कई खिडकिया,

जलाकर दिये मनमें रखो विश्वास,

दुरियां खत्म होगी, हम आएंगे पास

- डॉ.अंजली देशपांडे

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