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मूर्तियां


मूर्तियां बेजान सही

भक्ति का मूर्त रूप है।


मूर्तियों में बसी

हमारा भक्ति स्वरूप है।


मूर्तियां हमारा आधार

मूर्तियां साभार है।


मूर्तियों से ही हमारा

समाज पापों से भीत है।


मूर्तियों से हमारा

मन एकचित्त है।


मूर्तियों में हमारा

छिपा मनमीत है।


मूर्तियों से मंदिर और

दुनिया में शांति है।


मूर्तियों में बसाए कर्म

पूजा के मानक है।


कौन कहता है मूर्तियों में

भगवान स्थित नहीं है?

- डॉ. चित्रा मिलिंद गोस्वामी

 

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