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पैसे से ही पागल दुनिया


पैसे से ही पागल दुनिया

पैसे में डूब गई है,

पैसा पैसा करते करते

मनुष्य होना भूल गई है।


पैसे ने जन्मा अहं को

पैसे ने छोड़ दिया प्रेम को

पैसा है तो प्रतिष्ठा पाई

पैसा भुला दिलदारी को।


पैसा बना मर्यादा हंसी का

पैसा बना कारण दुःख का

पैसे ने छुड़वाए मां बाप

पैसा तो सुख है पल का।


पैसा है पर ताकत नहीं है

पैसा है पर साथी नहीं है

पैसे से नहीं मिलते रिश्ते

पैसे ने तो पाला भ्रम है।


पैसा पैसा पैसा धन है

जीवन जीने का साधन है

मत हावी होने दो खुद पर

पैसा तो भौतिक चैन है।


- डॉ.चित्रा मिलिंद गोस्वामी

 

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