पंचभूत
तुझसे हूँ, तुझमे ही मिल जाऊंगा,
ऐ माटी तू अपना बना लेना,
तू गोद में अपनी सुला लेना,
पंचभूतो सेये बना शरीर,
पंचभूतों कोही करता हूँ अर्पण,
ऐ अग्नि तू मुझे अपना लेना,
अग्नि कोगर बाधा आये,
ऐ पवन तू साथ निभा देना,
जब होजाऊ ढेर राख की,
गंगा में मुझे मिला देना,
जब किसी को मैं आऊं याद,
ऐ आकाश कुछ बुँदे बरसा देना,
भूल न जाना ऐ वादियों मुझे,
कुछ गीत मेरे तुम गालेना,
तुझसे हूँ, तुझमे ही मिल जाऊंगा,
ऐ माटी तू अपना बना लेना....
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