सुनहले गीत

सुने आंगन में उभरती
सुनी सी तस्वीर सही।
सुना मन हो जाता
भरसक तकदीर सही।
सुनी सुनाई कहानियां है
लगती अपनी ही सही।
जीवन के सूनेपन की
बन जाती लकीर सही।
कैसे विश्वास हो जाये
क्या होगी वापसी सही?
पंख लगाकर उड़ जाऊँ
आसमान ऊंचा ही सही
- डॉ. चित्रा मिलिंद गोस्वामी