विराम
'विराम' कविता का गहरा अर्थ और कवयित्री की भावनाएं जानने के लिए नीचे दिया गया Podcast सुनिए:
जिंदगी की दौड़ को,
आराम जरूरी है |
मानसपटल के संग्राम को,
ठहराव जरूरी है |
प्रश्नों से घिरे विवेक को,
विश्राम जरूरी है |
वेग से बहते मन को,
एक विराम जरूरी है |
विराम का अर्थ टालना नहीं,
स्थगित करना, या टरकाना नहीं |
ह्रदय को अनसुना कर, पीछा छुड़ाना नहीं |
विवेक से लड़, बैठ जाना नहीं |
विराम की नियति की नई शुरुआत है |
इसका अभिप्राय केवल मंथन है |
मंथन मन-मस्तिष्क का,
द्वार है यह, पुनः प्रारंभ का |
विराम की शक्ति की आलोचना है |
इसका अभिप्राय केवल विश्लेषण है |
विश्लेषण अपनी शून्यता का,
द्वार है यह पुनः अवसरों का |
बाहरी विकास के लिए,
अंतर वृद्धि जरूरी है |
और इस वृद्धि के लिए,
विराम जरूरी है |
कुंदन बनने के लिए,
तपना जरूरी है |
और तपन के अनुभव के लिए ,
विराम जरूरी है |
विराम एक संयोग है,
इससे भागो मत पार्थ,
अपनी उर्जा एकत्रित कर,
विराम के मूल्य को करो चरितार्थ |
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