बता कैसे भगवन्, है औरत बनाई?

वो क्या चीज तूने मिट्टी में मिलाई,
बता कैसे भगवन्, है औरत बनाई?।।धृ।।
जो बचपन से सीखे ममता लुटाना,
समझकर अहम सारे रिश्ते निभाना,
गुडियों की भी जिसने शादी रचाई।।१।।
कभी जाये बन वो सहेली भी माँ की,
ना भूली कभी करना सेवा पिताकी,
बिना उसके सूनी भाई की कलाई।।२।।
नये रिश्ते नातोमें घुल जाये ऐसे,
दूध मे जिसतरह, है शक्कर मिलाई
भरे दिल से करती ननद की बिदाई।।३।।
नये दौर में भी किसीसे न पीछे,
संभाले वो दफ्तर, घरआंगन भी सींचे,
नही क्षेत्र ऐसा न दे वो दिखाई।।४।।
खूबिया उसकी सारी रहे बरकरार,
बढता रहे उसके मन का निखार,
हर इक दिलसे निकले यही इक दुहाई॥५॥
रहे साथ हरदम वो प्यार बनकर
बहन या सहेली जो सहलाये दिलको
है ऑंचल मे मां के खुदाकी खुदाई,
इसलिए ही खुदा ने है औरत बनाई।।६।।