ताला और चाबी

कोरोना काल मे लोग ऐसे बन्द हो गए, जैसे ताला लगा दिया हो। आखिर वही भावना तो ताले ने व्यक्त की है।

POEMS

5/9/20241 min read

ताले ने चाबी से पुछा

कब खुलवाओगी मुझको,

दरवाजे पर पड़े पड़े तो

जंग लग गया है मुझको।

कोई तो आखिर देखे

तरस रहा हूँ कब से,

जी मचल रहा है अब

निकलने को यहां से।

मैं अटका दरवाजे पर

तुम चिपकी दीवार से,

महीनों हुई न भेंट हमारी

टकराती नजरे नजरों से।

- डॉ. चित्रा मिलिंद गोस्वामी

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